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आनन्द
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वाणिज्य ग्राम' नामक ग्राम में जितशत्रु - नामक राजा राज्य करता था । उसी ग्राम में आनन्द नामक एक व्यक्ति रहता था । उवासगदसाओ में उसे 'गाहावई ” बताया गया है । इस 'गाहावई' के लिए हेमचन्द्राचार्य ने 'गृहपति' शब्द का प्रयोग किया है। यह 'गाहावई' शब्द जैनसाहित्य में कितने ही स्थलों पर आया है । सूत्रकृतांगसूत्र में उसकी टीका की गयी है कि
गृहस्य पतिः गृहपतिः
यह शब्द आचारांग में भी आया है, पर वहाँ केवल " गृहपतिः “ टीका दी गयी है । उत्तराध्ययन अ० १ में उसका अर्थ 'ऋद्धिमद्विशेष' लिखा है ।
१ - यह वाणिज्यग्राम वैशाली ( आधुनिक बसाद, जिला मुज्जफ्फर ) के निकट था । इसका आधुनिक नाम बनिया है । विशेष विवरण के लिए देखिए तीर्थंकर महावीर माग १, ५४७३, ६३ तथा उसमें दिया मानचित्र |
२- यह जितशत्रु श्रावक राजा था । राजाओं के प्रसंग में हमने उस पर पृथक रूप से विचार किया है ।
३ – वाणियगामे आणन्दे नामं गाहावई
—उवासगदसाओ, ( पी० एल० वैध सम्पादित ) पृष्ठ ४
४- त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग ८, श्लोक २३७ पत्र १०७- १ तथा योगशास्त्र सटीक, तृतीय प्रकाश, श्लोक ३, पत्र २७५ -२
५- सूत्रकृतांगसटीक २४, सूत्र ६४, पत्र ११०२ ६ - आचारांग सटीक २२१११, पत्र ३०६-१
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