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श्रावक-धर्म
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२ ) सहसा रहसाभ्याख्यानं - एकान्त में कहीं कोई दो मनुष्य छिप कर सलाह कर रहे हों, तो उनके संकेत मात्र देखकर ऐसा कहना कि वे राज्यद्रोह का विचार कर रहे हैं या स्वामिद्रोह कर रहे हैं । चुगली आदि करना यह सब इस अतिचार में आता है ।
( ३ ) सदारमंत्रभेद - अपनी पत्नी ने विश्वास करके यदि कोई मर्द की बात कही हो, तो उसे प्रकट कर देना भी एक अतिचार है ।
(४) मृषा उपदेश -- दो का झगड़ा सुने तो एक को बुरी शिक्षा. देना, तथा बढ़ावा देना । अथवा मंत्र औषधि आदि सिद्ध करने के लिए कहना अथवा ज्योतिष, वैद्यक, कोकशास्त्र आदि पाप शास्त्र सिखाना | (५) कूटलेखन --- दूसरे के लिखावट की नकल करके झूठा दस्तावेज आदि बनाना ।
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३- तीसरे अणुव्रत अदत्तादान विरमण के ५ अतिचार हैं । प्रवचन-सारोद्धार में वे इस प्रकार गिनाये गये हैं :--
१ - रह : -- एकान्तस्तत्र भवं रहस्यं - राजादि कार्य सम्बद्धं यदन्यस्मै न कथ्यते तस्य दूषणं - अनधिकृतेनैवाकारेङ्गितादिभिर्ज्ञात्वा अन्यस्मै प्रकाशनं रहस्य दूषणं..." - प्रवचनसारोद्धार सटीक, भाग १, पत्र ७२ - १ २-- - दाराणां - कलत्राणामुपलक्षणत्वान्मित्रादीनां च मन्त्रो—मन्त्रणंतस्य भेदः - प्रकाशनं दारमंत्र भेद...
- प्रवचनसारोद्धार सटीक, भाग १, पत्र ७२-२ ३ - मृषा — अलीकं तस्योपदेशी मृषोपदेशः, इदं च 'एवं च एवं च ब्रूहि त्वं एवं च एवं च अभिदध्या कुलगृहेष्वि' त्यादिकमसत्याभिधानशिक्षा प्रदानमित्यर्थः ।
- प्रवचनसारोद्धार सटीक, भाग १, पत्र ७२-२
१ -असद्भूतस्य लेखो — लेखनं कूटलेखस्तस्य करणं.
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- प्रवचन सारोद्धार सटीक, माग १, पत्र ७२-२ :
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