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तीर्थंकर महावीर
४. अतिभारारोपण' चैल मनुष्य आदि पर आवश्यकता से अधिक
भार लादना
५. भात पानी का व्यवच्छेद करना - आश्रित मनुष्य अथवा पशु आदि को भोजन - पानी न देना |
२- दूसरे अणुव्रत स्थूलमृषावादविरमण के निम्नलिखित ५ अतिचार हैं:
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सहसा कलंक १ रहसदूसणं २ दारमंत भेयं च ३ । तह कूडलेहकरणं ४ मुसोवरसो५ मुसे दोसा ॥ २७५ ॥ ( १ ) सहसा कलंक लगाना - इसके लिए उवासगदसाओ तथा वदेत्ता अर्थात् सहसा बिना विचार किये अमुक चोर है, अमुक व्यभिचारी
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सूत्र में सहसाभ्याख्यान लिखा है । किसी को दोष वाला कहना जैसे कि है आदि ।
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१ – प्रतिमात्रस्य वोढुमशक्यस्य भारस्यारोपणं गोकरभरासभ मनुव्यादीनां स्कंधे पृष्ठे शिरसि वा वहनाया धिरोपणं इहापिक्रोधाल्लोभाद्वा यदधिकभारारोवणं सोऽतीचारः
- प्रवचनसारोद्धार, भाग १, पत्र ७१ - १ २- भोजनपानयोर्निषेधो द्विपद चतुष्पादानां क्रियमाणोऽतीचारः प्रथम
व्रतस्य
- प्रवचनसारोद्धार सटीक, भाग १, पत्र ७१ - १
३- प्रवचनसारोद्धार भाग १ पत्र ७०-२ । उवासगदाओ ( डा० पी० एल० वैद्य-सम्पादित, पृष्ठ १० ) में मृषावाद के अतिचार इस रूप में दिये हैं:
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सहसाभक्खाणे, रहसाभक्खाणे, सदारमन्तभेए, मोसोवएसे, कूडलेहकरणे ।
३ - अनालोच्य कलङ्कनं - कलङ्कस्य करणमभ्याख्यानमस दोषस्यारोपणमित्तियावत् चौरस्त्वं पारदारिकस्त्वमित्यादि ।
-प्रवचनसारोद्धार सटीक, भाग १, पत्र ७२ - १
४ - वंदेतासूत्र, गाथा १३ ।
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