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________________ ३७८ तीर्थंकर महावीर ४. अतिभारारोपण' चैल मनुष्य आदि पर आवश्यकता से अधिक भार लादना ५. भात पानी का व्यवच्छेद करना - आश्रित मनुष्य अथवा पशु आदि को भोजन - पानी न देना | २- दूसरे अणुव्रत स्थूलमृषावादविरमण के निम्नलिखित ५ अतिचार हैं: 3 सहसा कलंक १ रहसदूसणं २ दारमंत भेयं च ३ । तह कूडलेहकरणं ४ मुसोवरसो५ मुसे दोसा ॥ २७५ ॥ ( १ ) सहसा कलंक लगाना - इसके लिए उवासगदसाओ तथा वदेत्ता अर्थात् सहसा बिना विचार किये अमुक चोर है, अमुक व्यभिचारी ૪ सूत्र में सहसाभ्याख्यान लिखा है । किसी को दोष वाला कहना जैसे कि है आदि । - १ – प्रतिमात्रस्य वोढुमशक्यस्य भारस्यारोपणं गोकरभरासभ मनुव्यादीनां स्कंधे पृष्ठे शिरसि वा वहनाया धिरोपणं इहापिक्रोधाल्लोभाद्वा यदधिकभारारोवणं सोऽतीचारः - प्रवचनसारोद्धार, भाग १, पत्र ७१ - १ २- भोजनपानयोर्निषेधो द्विपद चतुष्पादानां क्रियमाणोऽतीचारः प्रथम व्रतस्य - प्रवचनसारोद्धार सटीक, भाग १, पत्र ७१ - १ ३- प्रवचनसारोद्धार भाग १ पत्र ७०-२ । उवासगदाओ ( डा० पी० एल० वैद्य-सम्पादित, पृष्ठ १० ) में मृषावाद के अतिचार इस रूप में दिये हैं: - सहसाभक्खाणे, रहसाभक्खाणे, सदारमन्तभेए, मोसोवएसे, कूडलेहकरणे । ३ - अनालोच्य कलङ्कनं - कलङ्कस्य करणमभ्याख्यानमस दोषस्यारोपणमित्तियावत् चौरस्त्वं पारदारिकस्त्वमित्यादि । -प्रवचनसारोद्धार सटीक, भाग १, पत्र ७२ - १ ४ - वंदेतासूत्र, गाथा १३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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