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तीर्थकर महावीर १३२. साल-राजाओं के प्रकरण में देखिए । १३३. सिंह-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ५३ । १३४. सिंह-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ १३३ । १३५. सिंहसेन-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ५३ । १३६. सुकाली-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ९५ । १३७. सुकृष्णा-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ९५ ।
१३८. सुजात-वीरपुर-नगर था। उसके निकट मनोरम-उद्यान था। वहाँ वीरकृष्णमित्र-नामक राजा था। उसकी पत्नी का नाम श्री था। उनके कुमार का नाम सुजात था। उसे ५०० पत्नियाँ थीं, उनमें बलश्री मुख्य थी। पहले उसने श्रावक-व्रत लिया। बाद में साधु हो गया । यह महाविदेह में जन्म लेने के बाद सिद्ध होगा। (विधाकसूत्र, मोदीचौकसी-सम्पादित, पृष्ठ ८०-८१)।
१३६. सुजाता-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ५४ ।
१४०. सुदंसणा-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ट २४२७; १९३-१९४
१४१. सुदर्शन-देखिए, तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ २५९-२६३। १४२. सुद्धदंत-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ट ५३ ।
१४३. सुधर्मा-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग १, पृष्ठ २९४२६८, ३६८।
१४४. सुनक्षत्र-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ १२२ । १४५. सुनक्षत्र-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ट ७१ । १४६. सुप्रतिष्ठ-देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २ पृष्ट ३२ ।
१४७.. सुबाहुकुमार-हस्तिशीर्ष के उत्तरपूर्व-दिशा में पुष्पकरण्डक-नामक उद्यान था। उस नगर में अदीनशत्रु राजा था। उसकी रानी का नाम धारिणी था। उनके पुत्र का नाम सुबाहुकुमार था । इसका वर्णन राजाओं के प्रसंग में हमने विस्तार से किया है ।
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