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तीर्थंकर महावीर
— मेरुतुंगाचार्य रचित 'विचार श्रेणी' ( जैन साहित्य संशोधक, खंड २, अंक ३-४ पृष्ठ ४ )
(२) छहिं वासाण सएहिं पञ्चहिं वासेहिं पञ्चमासेहिं मम निव्वाण गयस्स उ उपाजिस्सइ सगो राया ॥ - नेमिचंद्र - रचित 'महावीर - चरियं' श्लोक २१६९, पत्र ९४-१ ६०५ वर्ष ५ मास का यही अंतर दिगम्बरों में भी मान्य है । हम यहाँ तत्संबंधी कुछ प्रमाण दे रहे हैं
-:
( १ ) पण छस्सयवस्सं पणभासजुदं गमिय वीरणिव्वुइदो । सगराजो तो कक्की चदुणवतियमहिय सगमासं ॥ ८५० ॥ - नेमिचंद्र सिद्धान्त चक्रवर्ती रचित 'त्रिलोकसार' ( २ ) वर्षाणां षट्शतीं त्यक्त्वा पंचाग्रां मांसपंचकम् । मुक्तिं गते महावीरे शकराजस्ततोऽभवत् ॥ ६०- ५४६॥ - जिनसेनाचार्य -रचित 'हरिवंशपुराण'
(३) णिव्वाणे वीरजिणे छब्बास सदेसु पंचवरिसेसु । पण मासेसु गदेसु संजादो सगणिश्रो श्रहवा । -तिलोयपण्णत्ति, भाग १, पृष्ठ ३४१ ( ४ ) पंच य मासा पंच य वासा छच्चेव होंति वाससया । सगकाले य सहिया थावेयव्वा तदो रासी ॥
- धवला ( जैनसिद्धान्त भवन, आरा ), पत्र ५३७ वर्तमान ईसवी सन् १९६१ में शक संवत १८८२ है । इस प्रकार ईसवी सन् और शक संवत् में ७९ वर्ष का अंतर हुआ । भगवान् महावीर का निर्वाण शक संवत से ६०५ वर्ष ५ मास पूर्व हुआ । में से ७९ घटा देने पर महावीर का निर्वाण ईसवी पूर्व होता है ।
इस प्रकार ६०६ ५२७ में सिद्ध
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