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________________ ३२० तीर्थंकर महावीर — मेरुतुंगाचार्य रचित 'विचार श्रेणी' ( जैन साहित्य संशोधक, खंड २, अंक ३-४ पृष्ठ ४ ) (२) छहिं वासाण सएहिं पञ्चहिं वासेहिं पञ्चमासेहिं मम निव्वाण गयस्स उ उपाजिस्सइ सगो राया ॥ - नेमिचंद्र - रचित 'महावीर - चरियं' श्लोक २१६९, पत्र ९४-१ ६०५ वर्ष ५ मास का यही अंतर दिगम्बरों में भी मान्य है । हम यहाँ तत्संबंधी कुछ प्रमाण दे रहे हैं -: ( १ ) पण छस्सयवस्सं पणभासजुदं गमिय वीरणिव्वुइदो । सगराजो तो कक्की चदुणवतियमहिय सगमासं ॥ ८५० ॥ - नेमिचंद्र सिद्धान्त चक्रवर्ती रचित 'त्रिलोकसार' ( २ ) वर्षाणां षट्शतीं त्यक्त्वा पंचाग्रां मांसपंचकम् । मुक्तिं गते महावीरे शकराजस्ततोऽभवत् ॥ ६०- ५४६॥ - जिनसेनाचार्य -रचित 'हरिवंशपुराण' (३) णिव्वाणे वीरजिणे छब्बास सदेसु पंचवरिसेसु । पण मासेसु गदेसु संजादो सगणिश्रो श्रहवा । -तिलोयपण्णत्ति, भाग १, पृष्ठ ३४१ ( ४ ) पंच य मासा पंच य वासा छच्चेव होंति वाससया । सगकाले य सहिया थावेयव्वा तदो रासी ॥ - धवला ( जैनसिद्धान्त भवन, आरा ), पत्र ५३७ वर्तमान ईसवी सन् १९६१ में शक संवत १८८२ है । इस प्रकार ईसवी सन् और शक संवत् में ७९ वर्ष का अंतर हुआ । भगवान् महावीर का निर्वाण शक संवत से ६०५ वर्ष ५ मास पूर्व हुआ । में से ७९ घटा देने पर महावीर का निर्वाण ईसवी पूर्व होता है । इस प्रकार ६०६ ५२७ में सिद्ध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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