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________________ ३२४ महावीर-निर्माण-संवत् ३१६ महाबीर-निर्माण-संवत् भगवान् महावीर का निर्वाण कब हुआ, इस संबंध में जैनों में गणना को एक अभेद्य परम्परा विद्यमान है और वह श्वेताम्बरों तथा दिगम्बरों में समान ही है । 'तित्थोगालीपयन्ना' में निर्वाणकाल का उल्लेख करते हुए लिखा है-- जं रयणि सिद्धिगो, अरहा तित्थकरो महावीरो। तं रयणिमवंतीए, अभिसित्तो पालो राया ॥६२०॥ पालग रराणो सट्ठी, पुण पण्णसयं वियाणि णंदाणम् । मुरियाणं सट्टिसयं, पणतीसा पूस मित्ताणम् (त्तस्स) ॥२१॥ बलमित्त-भागुमित्ता, सट्टा चत्ताय होति नहसणे गहभसयमेगं पुण, पडिवन्नो तो सगो राया ॥६२२।। पंच य मासा पंच य, वासा छच्चेव होति वाससया । परिनिव्वुअस्सऽरिहतो, तो उप्पन्नो (पडिवनो) सगोराया ॥६२३।। -जिस रात में अर्हन महाबीर तीर्थंकर का निर्वाण हुआ, उसी रात (दिन) में अवन्ति में पालक का राज्याभिषेक हुआ । ६० वर्ष पालक के, , ० नंदों के, ५६० मौयों के, ३५ पुष्यमित्र के, ६० बलमित्र-भानुमित्र के, ८० नमःसेन के और १०० वर्ष गर्दमिलों के बीतने पर दशक राजा का शासन हुआ। अहन् महावीर को निर्वाण हुए ६०५ वर्ष और ', मास बीतने पर शक राजा उत्पन्न हुआ। ___ यही गणना अन्य जैन ग्रंथों में भी मिलती है। हम उनमें से कुछ नीचे दे रहे हैं :(१) श्री वीरनिवृतेवः पद्भिः पञ्चोत्तरैः शतैः। शाक संवत्सरस्यैषा प्रवृत्तिभरतेऽभवत् ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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