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तीर्थकर महावीर इन पाठों से स्पष्ट है, कि वैशाली के आधीन १८ गणराजे थे। काशी-कोशल को भी इन्हीं १८ में ही मानना चाहिए। टीका से यह गणना स्पष्ट हो जाती है।
इसकी पुष्टि निरयावलिका के एक अन्य प्रसंग से भी होती है। चेटक जब सेना लेकर लड़ने के लिए चलता है तो उसका वर्णन है
तते णं ते चेडए राया तिहि दंति सहस्सेहिं जहा कूणिए जाव वेसालि नगरि मझमझेण निग्गच्छति' निग्गच्छित्ता जेणवे नवमल्लई, नवलेच्छई काशीकोसलगा अट्टारस वि गणरायाणो तेणवे उवागच्छति.....
फिर १८ गणराजाओं के साथ संयुक्त चेटक की सेना की संख्या निरयावलिका में इस प्रकार दी है :
तते णं चेडए राया सत्तावन्नाए दंतिसहस्सेहिं सत्तावनाए आससहस्सेहिं सत्तावन्नाए रहसहस्सेहिं सत्तावन्नाए मणुस्स कोडीएहि...... ___ इस पाठ से भी स्पष्ट है कि चेटक और १८ गणराजाओं की सेनाएँ वहाँ थी।
(४)चेटक के १८ गणराजे थे, यह बात आवश्यकचूर्णि (उत्तरार्द्ध) 'पत्र १७३ से भी स्पष्ट है। उसने पाठ है
चेडएणवि गणरायाणो मोलिता देसप्पंते ठिता, तेसिपि . अट्ठारसण्हं रायीणं समं चेडपणं तो हत्यिसहस्सा रह सहस्सा मणुस्स कोडीग्रो तहा चेत्र, नवरि संखेवो सत्तावराणो सत्तावराणो......
इसी प्रकार का पाठ आवश्यक की हरिभद्र की टीका में भी है:......तत् श्रुत्वा चेटकनाष्टादश गणराजा मेलिता ..
-पत्र ६८४-१
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