________________
१८ गणराजे
३१५
( १ ) भगवान् महावीर के निधन के समय १८ गणराजे उपस्थित थे । उसका पाठ कल्पसूत्र में इस प्रकार है :
नवमल्लई नवलेच्छई कासीकोसलगा श्रद्धारसवि गणरायाणो
- कल्पसूत्र सुबोधिका टीका सहित, व्याख्यान ६, सूत्र १२८ पत्र ३५० इसकी टीका सन्देहविषौषधि में इस प्रकार दी है :
'नवलई' इत्यादि काशीदेशस्य राजानो मल्लकी जातीया नव कोशल: देशस्य राजानो, लेच्छकी जातीया नव
( २ ) भगवतीसूत्र श० ७,३०९, सूत्र २९९ पत्र ५७६ - २ में युद्ध - प्रसंग में पाठ आया है :
----
नवमल्लई नवलेच्छई कासी- कोसलगा गणरायाणो
वि
अभयदेव सूरि ने इसको टीका इस प्रकार को है :
'नव मल्लई' ति मल्लकि नामानो राजविशेषाः, 'नव लेच्छइ त्ति लेच्छकीनामानो राजविशेषाः एव 'कासीकोसलग ति काशी - वाराणसी तज्जनपदोऽपि काशी तत्सम्बन्धिन आद्या नव, कोशला अयोध्या तज्जनपदोऽपि कोशला तत्सम्बन्धिनः नव द्वितीयाः । ' गणरायाणो' ति समुत्पन्ने प्रयोजने ये गणं कुर्वन्ति ते गणप्रधाना राजानौ गणराजाः इत्यर्थः, ते च तदानों चेटक राजस्य वैशालीनगरी नायकस्य साहाय्याय गण कृतवंत इति
......
*
( ३ ) निरयावलिका में भी इसी प्रकार का पाठ है नवमललाई नवलेच्छई कासीकोसलका गणरायाणो
Jain Education International
अट्ठारस
- पत्र ५७९-५८
For Private & Personal Use Only
अट्ठारस वि
- निरयावलिका सटीक, पत्र १७-२
www.jainelibrary.org