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तीर्थंकर महावीर
प्राप्त किया और ३० वर्ष में ६ ॥ मास कम केवली - रूप रहा, इस प्रकार कुल ४२ वर्ष श्रमण- पर्याय भोग कर, सब मिलाकर ७२ वर्ष की आयु भोग कर मैं सिद्ध, बुद्ध और मुक्त होकर होकर सब दुःखों का नाश करूँगा...
( २ ) समणे भगवं महावीरे बावन्तरि वासाइ सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे...
- समवायांगसूत्र सटीक, समवाय ७२, पत्र ७०-१ (३) तीसा य बद्धमाणे बयालीसा उ परियाओ
- आवश्यक नियुक्ति ( अपूर्ण - अप्रकाशित ) गा० ७७, पृष्ठ ५ । ( ४ ) तेणं कालेणं तेणं समरणं समणे भगवं महावीरे तीस वासाइं श्रागार वासमज्भे वसित्ता, साइरेगाई दुवालस वालाई छउमत्थ परियागं पाउणित्ता, देसूणाई तीसं वासाई केवलि - परियागं पाउणित्ता, बायालीसं वासाइं सामण्ण परियागं पाउणित्ता, वावत्तरि वासाई सव्वाउयं पालइत्ता खीणे वेयणिज्जा ।
- कल्पसूत्र सुबोधिका टीका, सूत्र १४७, पत्र ३६३ - इसकी टीका सुबोधिका में इस प्रकार दी है:
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[ तेणं कालेणं ] तस्मिन् काले [ तेणं समएणं ] तस्मिन् समये [ समणे भगवं महावीरे ] श्रमणो भगवान् महावीरः [ तीसं वासाई ] त्रिंशद्वर्षाणि [ श्रागार वासमज्भे वसित्ता ] गृहस्थावस्थामध्ये उषित्वा [ साइरेगाई दुबालस वासाई ] समधिकानि द्वादश वर्षाणि [ छउमत्थपरियागं पाउणित्ता ] छद्मस्थ पर्यायं पालयित्वा [ देसूणाई तीसं वासाई ] किञ्जि दूनानि त्रिंशद्वर्षाणि [ केवलिपरियागं पाउणित्ता ] केवलिपर्यायं
१ – धवल - सिद्धान्त ( भगवान् महावीर और उनका समय, युगल किशोर मुख्तार लिखित, पृष्ठ १२ ) में भगवान् का केवलि काल २६ वर्ष ५ मास २० दिन लिखा है ।
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