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भगवान् पापापुरी में
३०१ स्थूलभद्र १४ पूर्वी होंगे। उसके बाद अंतिम ४ पूर्व उच्छेद को प्राप्त हो जायेंगे। उसके बाद महागिरि, सुदस्ति तथा वज्रस्वामी तक १० पूर्वधर होंगे।
इस प्रकार भविष्य कहकर महावीर स्वामी समवसरण से बाहर निकले और हस्तिपाल राजा की शुल्क-शाला में गये । प्रतिबोध पाकर हस्तिपाल ने भी दीक्षा दे ली।
उस दिन भगवान् ने सोचा--"आज मैं मुक्त होनेवाला हूँ। गौतम का मुझ पर बहुत अधिक स्नेह है । उस स्नेह ही के कारण उनको केवलज्ञान नहीं हो पा रहा है। इसलिए कुछ ऐसा उपाय करना चाहिए कि,. उनका स्नेह नष्ट हो जाये। अतः भगवान् ने गौतम स्वामी से कहा"गौतम ! पास के गाँव में देवशर्मा-नामक ब्राह्मण है। वह तुम्हारे उपदेश से प्रतिबोध पायेगा । इसलिए तुम उसे उपदेश देने जाओ।” अतः गौतम स्वामी देवशर्मा को उपदेश करने चले गये। गौतम स्वामी के उपदेश से देवशर्मा ने प्रतिबोध प्राप्त किया ।
१ (अ)-स्थूलभद्र के सम्बन्ध में तपागच्छपट्टावलि में इस प्रकार लिखा है:-सिरिथूलभद्दत्ति श्रीसंभूतविजय-भद्रबाहु स्वामिनो सप्तम पट्ट श्री स्थूलभद्र स्वामी कोशा प्रतिबोधननित यशोधवली कृताखिलजगत् सर्वजन प्रसिद्धः । चतुर्दशपूर्व विदां पश्चिमः । क्वचिच्चत्वार्यन्त्यानि पूर्वाणि सूत्रतोऽधीतवानित्यपि ।...
___-पट्टावलि सम्मुच्चय, भाग १, पृष्ठ ४४ (आ; "श्री स्थूलभद्रो वस्तुद्वयो नां दशपूर्वी प्रपाठ-अथान्यस्मै वाचना न देयेत्युक्त्वा सूत्रतो वाचनां दपु:-कल्पसूत्र सुबोधिका टीका, पत्र ४६०
२ तेरसमोदि श्री सीहगिरि पट्टे त्रयोदशः श्रीवज्रस्वामी। यो बाल्यादपि जाति स्मृतिभार , नभोगमन विद्यया संघरक्षाकृत् दक्षिणस्यां बौद्धराज्ये जिनेन्द्र पूजा निमित्तं पुष्पाधानयनेन प्रवचन प्रभावनाकृत देवाभिवंदितो दशपूर्व विदाम पश्चिमो वज्र शाखोत्पत्ति मूलं ।
-पट्टावलि सम्मुचय, भाग १, १४ ४७
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