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________________ २६८ तीर्थकर महावीर मास बीतने पर, पाँचवा आरा प्रवेश करेगा । और, भगवान् ने फिर सविस्तार उसका विवरण भी सुनाया। भगवान् ने कहा-."उत्सर्पिणी में दुःपमा काल के अंत में इस भारत वर्ष में सात कुलकर होंगे। १ विमलवाहन, २ सुदामा, ३ संगम, ४ सुपार्श्व, ५ दत्त, ६ सुमुख और ७ संमुचि । ___ "उनमें विमलवाहन को जातिस्मरण-ज्ञान होगा और वे गाँव तथा शहर बसायेंगे, राज्य कायम करेंगे, हाथी, घोड़े, गाय-बैल आदि पशुओं का संग्रह करेंगे और शिल्प, लिपि, गणितादि का व्यवहार लोगों में चलायेंगे। बाद में जब दूध, दही, अग्नि आदि पैदा होंगे, तो राजा उसे खाने का उपदेश करेंगे। "इस तरह दुःषम काल व्यतीत होने के बाद तीसरे आरे में ८९ पक्ष बीतने के बाद शतद्वार-नामक नगर में संमुचि-नामक सातवें कुलकर राजा की भ्रद्रा देवी नामक रानी के गर्भ से श्रेणिक का जीव उत्पन्न होगा। उसका नाम पद्मनाभ होगा। "सुपार्श्व का जीव सूरदेव नामक दूसरा तीर्थकर होगा । पोट्टिल का जीव सुपार्श्व-नामक तीसरा तीर्थंकर होगा । द्रढ़ायु का जीव स्वयंप्रभ नामक चौथा तीर्थकर, कार्तिक सेठ का जीव सर्वानुभूति-नामक पाँचवा तीर्थंकर शंख श्रावक का जीव देवश्रत-नामक छठाँ तीर्थकर, नंद का जीव उदय नामक ७-वाँ तीर्थंकर, सुनंदका जीव पेढाल-नामक ८-वाँ तीर्थंकर, कैकसी १-आगामी उत्सर्पिणी के कुलकरों के नाम ठाणांगमूत्र सटीक, ठा० ७, उ० ३, सूत्र ५५६ पत्र ५५४-१ में इस रूप में दिये हैं :-- जंबुदीवे भारहेवासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सत्त कुलकरा भविस्संति-मित्त. वाहण, सुभोमे य सुप्पभे य सयंपभे। दत्ते, सुहुमे [ दुहे सुरूवे य ] सुबंधू य आगमेस्सिण होक्खती। ऐसा ही समवायांगसूत्र सटीक, समवाय १५८, गा० ७१, पत्र १४२-२ में भी है। २-काललोकप्रकाश, पष्ठ ६२६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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