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________________ छठे आरे का विवरण २६१ मुहूर्त के अंदर और सूर्यास्त के पश्चात् एक मुहूर्त के अंदर बिल में से निकल कर मछली, कछुए आदि को जल से निकाल कर भूमि पर डालेंगे और धूप में पके-भुने उन जलचरों का आहार करेंगे। इस प्रकार २१ हजार वर्षों तक उनकी आजीविका रहेगी। गौतम स्वामी-'शीलरहित, निर्गुण, मर्यादा रहित, प्रत्याख्यान और पौषधोपवास हीन प्रायः मांसाहारी, मत्स्याहारी, मधु का आहार करने वाले, मृत शरीर का आहार करने वाले मनुष्य मर कर कहाँ जायेंगे ? भगवान्-"वे नरक और तिर्यच योनि में उत्पन्न होंगे।' बस्तियों का वर्गीकरण बस्तियों के वर्गीकरण के उल्लेख जैन-शास्त्रों में कितने ही स्थलों पर हैं। आचारांगसूत्र ( राजकोट वाला, श्रु० १, अ०८, उ०६ ) में निम्नलिखित के उल्लेख आये हैं : गामं वा १,णगंर वा २, खेडं वा ३, कवडं वा ४, मडंबं वा ५, पट्टणं वा ६ दोणमुहं वा ७, प्रागरं वा ८, आसमं वा ६, सरिणवसंवा १०, णिगमं वा ११, रायहरणिं वा १२ सूत्रकृतांग में उनकी सूची इस प्रकार है : गाम १, णगर २, खेड ३, कब्बड ४, मडंव ५, दोण मुह ६, पट्टण ७, आसम ८, सन्निवेस ६, निगम १०, रायहाणि ११ -श्रु० २, अ० २, सूत्र २१ कल्पसूत्र में सूची इस प्रकार है : गाम १, आगर २, नगर ३, खेड ४, कब्बड ५, मडंब ६, दोणमुह ७, पहणा ८, आसम ६, संबाह १०, संन्निवेह ११ ( सूत्र ८८) १-भगवतीसूत्र सटीक, शतक ७, उ० ६, सूत्र २८६-२८७, पत्र ५५७-५६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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