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तीर्थङ्कर महावीर गौतम स्वामी-"यह किस प्रकार ?"
भगवान्-“हे गौतम ! नैरयिक एकांत दुःख भोगते हैं और कदाचित् सुख भोगते हैं। भवनपति, वानव्यन्तर, ज्योतिष्कं और वैमानिक एकान्त मुख भोगते हैं और कदाचित दुःख भोगते हैं । पृथ्वीकाय से लेकर मनुष्य तक जीव विविध प्रकार की वेदना का भोग करते हैं। ये कभी सुख और कभी दुःख का भोग करते हैं।"
इस वर्ष का वर्षावास भगवान् ने राजगृह में बिताया ।'
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१-भगवतीसूत्र, शतक ६, उद्देशा १० सूत्र २५६ पत्र ५२०-५२१
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