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४०-वाँ चातुर्मास भगवान् विदेह-भूमि में
चातुर्मास के बाद भगवान् विदेह-भूमि में ही विचरते रहे। और अपना वह वर्षावास भी भगवान् ने मिथिला में ही बिताया ।
४१-वाँ वर्षावास
महाशतक का अनशन
चातुर्मास्य की समाप्ति के बाद ग्रामानुग्राम विहार करते हुर भगवान् राजगृह पधारे और गुणशिलक-नामक चैत्य में ठहरे । ___ राजगृह निवासी श्रमणोपासक महाशतक इस समय अपनी अंतिम आराधना करके अनशन किये हुए था। उसकी स्त्री रेवती उसका वचन भंग करने गयी। इसकी सारी कथा विस्तार से हमने श्रावकों के प्रकरण मैं लिखा है।
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