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________________ ३६ - वाँ वर्षावास ज्योतिष-सम्बंधी प्रश्न नालंदा में चातुर्मास समाप्त होने के बाद, ग्रामानुग्राम विहार करते हुए भगवान् विदेह पहुँचे । यहाँ जितशत्रु-न [-नामक राजा राज्य करता था । मिथिला नगर के बाहर मणिभद्र चैत्य था ।' वहीं भगवान् का समवसरण हुआ । राजा जितशत्रु और उसकी रानी धारिणी भगवान् की वंदना करने गये । सभा-विसर्जन के बाद इन्द्रभूति गौतम ने भगवान् से ज्योतिष सम्बंधी प्रश्न पूछे ( १ ) सूर्य प्रतिवर्ष कितने मंडलों का भ्रमण करता है ? ( २ ) सूर्य तिर्यग्भ्रमण कैसे करता है ? ( ३ ) सूर्य तथा चन्द्र कितने क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ? ( ४ ) प्रकाशक का अवस्थान कैसा है ? ( ५ ) सूर्य का प्रकाश कहाँ रुकता है ? ( ६ ) ओजस् ( प्रकाश ) की स्थिति कितने काल की है ? ( 3 ) कौन से पुद्गल सूर्य के प्रकाश का स्पर्श करते हैं ? ( ८ ) सूर्योदय की स्थिति कैसी है ? १ -- तीसे गं मिहिलाएं नयरीस बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एत्थं गं मणि, भदुदं णामं चेइए - सूर्य प्रज्ञप्ति सटीक पत्र १-२ २ - तीसे मिहिलाए जियसत्त राया, धारिणी देवी - वही पत्र १-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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