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तीर्थंकर महावीर
का अनुभव नहीं करता और जिस समय पुरुषवेद का अनुभव करता है, उस समय स्त्रीवेद का अनुभव नहीं करता । '
" पुरुषवेद के उदयकाल में पुरुष स्त्री की और स्त्रीवेद के उदयकाल में स्त्री पुरुष की प्रार्थना करता है ।
इसी वर्ष अचलभ्राता और मेतार्य ने गुणशिलक चैत्य में अनशन करके निर्वाण प्राप्त किया ।
इस वर्ष का वर्षावास भगवान् ने नालंदा में बिताया ।
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१- भगवती सूत्र सटीक शतक सूत्रह९ पत्र २३२–२३३
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