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तीर्थङ्कर महावीर
उसी समय की कथा कि भगवान् के गणधर इन्द्रभूति भिक्षा के लिए जब बाहर निकले और आनन्द श्रावक को देखने गये । उस समय मरणांतक अनशन स्वीकार करके आनन्द दर्भ की पथारी पर लेटा हुआ । इन्द्रभूति को आनन्द ने अपने अवधिज्ञान की सूचना दी । इन्द्रभूति को इस पर शंका हुई। उन्होंने भगवान् से पूछा । सबका विस्तृत विवरण हमने मुख्य श्रावकों के प्रसंग में है । अपना वह वर्षावास भगवान् ने वैशाली मैं बिताया ।
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