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तीर्थंकर महावीर चाँदी के बंधन से युक्त, स्वर्ण के बंधन से युक्त पात्र तथा अन्य बहुमूल्य बंधन के पात्र उन्हें नहीं कल्पते थे। अनेक प्रकार के रंगों से रंगा कपड़ा थी उन्हें नहीं कल्पता था। वे केवल गैरिक रंग से रंगा वस्त्र पहनते थे। हार', अर्द्धहार', एकावलि, मुक्तावलि, कनकावलि, रत्नावलिं, मुरवि, कण्ठ मुरवि, प्रालंबक, त्रिसर'', कटिसूत्र'', मुद्रिका, कटक', त्रुटित'", अंगद ५, केयूर, कुंडल, मुकुट, चूड़ामणि, आदि आभूषण उन्हें नहीं कल्पते थे।
वे केवल ताँबे की पवित्रक ( मुद्रिका ) पहनते थे । उन परिव्राजकों
१-हारः-अष्टादश सारिक:-कल्पसूत्र सुबोधिका टीका पत्र १६५ २-अर्धहारो-नवसारिकस्त्रिपरिकं-वही, पत्र १६५ ३-विचित्र मणियुक्त ४-मोतियों की माला, ५-सोने के दानों की माला ६-रत्नों के दानों की माला, ७-जंतर ८-कंठी
8-गले का एक आभूषण जो व्यक्ति के कद इतना लम्बा होता है। प्रलम्बमानः प्रालम्बो-कल्पसूत्र सुत्रोधिका टीका, पत्र १६६
१०-तीन लड़ी को माला १.१-कमर का आभूषण-वही पत्र, १६६ १२-अंगूठी १३-कड़ा १४-बाहु का एक आभरण-कल्पसूत्र सटीक, पत्र १६६ १५-बाजूबंद १६-भुजा का एक आमरण
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