________________
अम्बड परिव्राजक
२२५ लाभ के लिए लेन-देन का काम करते हैं, याचक आदि जनों के लिये जो प्रचुर मात्रा में भक्त-पान आदि देते हैं, जिनकी सेवा में अनेक दासदासी उपस्थित रहते हैं; तथा जिनके पास गौ-महिष आदि हैं; ऐसे ही एक कुल में अम्बड उत्पन्न होगा।
"उस लड़के के गर्भ में आते ही उसके पुण्य प्रभाव से उसके मातापिता को धर्म में आस्था होगी । ९ मास ७।। दिन बाद उसका जन्म होगा। उसके माता-पिता उसका नाम दृढ़प्रतिज्ञ रखेंगे।
"यौवन को प्रात होने पर उसके माता-पिता उसके लिये समस्त भोगों की व्यवस्था करेंगे, पर वह उनमें गृद्ध नहीं होगा। और, अंत में साधु हो जायेगा ।
'चैत्य' शब्द पर विचार औपपातिक-सूत्र में एक पाठ है:
"वा चेइयाई वंदित्तएं.२ ऐसा ही पाठ बाबू वाले संस्करण में तथा सुरू-सम्पादित औपपातिक सूत्र में भी है ।
१-औपपातिकसूत्र सटीक सूत्र ४० पत्र १८२-- १६५ । इस अम्बड का उल्लेख भगवतीसूत्र सटीक शतक १४ उद्देश्य सूत्र ५२६ पत्र ११६८ में भी आया है। __ जैन-साहित्य में एक और अम्बड का उल्लेख मिलता है जो भावी चौबीसी में तीर्थकर होगा। ठाणांगसूत्र सटीक ठा० ६ उ० ३ सूत्र ६६२ की टीका में आता है
पश्चौपपातिकोपाङ्ग महाविदेहे सेत्स्यतीत्यभिधीयते सोऽन्य इति सम्भा. व्यते (पत्र ४५८-२)
२.-औपपातिकसूत्र सटीक ( दयाविमल जैन-ग्रन्थमाला, नं० २६ ) सूत्र ४० पत्र १८४ ।
३-पत्र २६७ ४-पृष्ठ ७४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org