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३०-वाँ वर्षावास शाल-महाशाल की दीक्षा
राजगृह में वर्षावास बिताने के बाद भगवान् ने पृष्ठचम्पा की ओर विहार किया । यहाँ शाल-नामक राजा राज्य करता था । भगवान् का उपदेश सुनकर शाल और उसके भाई महाशाल ने दीक्षा ग्रहण कर ली। इनका वर्णन हमने राजाओं के प्रकरण में विस्तार से किया है । पृष्ठचम्पा से भगवान् चम्पा गये और पूर्णभद्र-चैत्य में ठहरे ।
कामदेव-प्रसंग यहाँ कामदेव-नामक श्रमणोपासक रहता था। एक दिन पौषध में वह ध्यान में लीन था कि एक देव ने विभिन्न उपसर्ग उपस्थित किये । पर, कामदेव अपने ध्यान में अटल रहा । अंत में वह देव पराजित होकर चला गया । हमने इसका सविस्तार उल्लेख मुख्य श्रावकों के प्रसंग में किया है।
दशाणभद्र की दीक्षा चम्पा से भगवान् दशाणपुर गये। भगवान् की इस यात्रा ने वहाँ के राजा दशार्णभद्र ने साधु-व्रत स्वीकार किया। हमने इसका भी सविस्तार वर्णन राजाओं वाले प्रकरण में किया है ।
सोमिल का श्रावक होना वहाँ से विहार कर भगवान् वाणिज्यग्राम आये और द्विपलाय चैत्य में ठहहे।
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