SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 277
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गौतम स्वामी के प्रश्नों का उत्तर २१३ जीवों को पाले । दुष्ट भार्या तथा दुराचारी पुत्र का पोषण करना आदि असती पोषण है ।' ___ "ये श्रमणोपासक शुक्ल-पवित्र-और पवित्रता-प्रधान होकर मृत्यु के समय काल करके देवलोक में देवता रूप में उत्पन्न होते हैं।" गौतम स्वामी- "हे भगवन् ! कितने प्रकार के देवलोक कहे गये हैं ? भगवान्- "हे गौतम ४ प्रकार के देवलोक कहे गये हैं.-भवनवासी, चानव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक।" इसी वर्ष राजगृह के विपुल पर्वत पर बहुत से अनगारों ने अनशन किया। भगवान् ने अपना वर्षावास राजगृह में ही बिताया। १-'कम्भादाणाई' ति' ति कर्माणि-ज्ञानावरणादीन्यादीयन्ते यैस्तानि कर्मादानानि, अथवा कर्माणि च तान्यादानानि च कर्मादानानि-कर्महेतव इति विग्रहः-भगवतीसूत्र सटीक पत्र ६८२।१५ कर्मादानों का। उल्लेख भगवतीसूत्र सटीक पत्र ६८२-६८३ । उवासगदसाओ (गोरे-सम्पादित ) पृष्ठ ८, धर्मसंग्रह गुजरातीअनुवाद सहित, भाग १, पष्ठ २६६-३०४, आत्मप्रबोध सटीक पत्र ८८-१,८८-२, श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र (गुजराती अनुवाद सहित धर्मविजय गणि-सम्पादित) पष्ठ २३६-२४२ आदि स्थलों पर आता है। २-भगवती सटीक श० ८, उ० ५, पत्र ६७७-६८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy