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________________ गौतम स्वामी के प्रश्नों का उत्तर २०७ पात का अप्रत्याख्यान नहीं होता है फिर तो बाद में प्रत्याख्यान करते हुए वह क्या करता है ? | भगवान्–“हे गौतम ! अतीत काल में किये प्राणातिपात को प्रतिक्रमता (निन्दा करता) है, प्रत्युत्पन्न (वर्तमान) काल को संवरता ( रोध करता) है और अनागत काल का प्रत्याख्यान करता है। गौतम-हे भगवान् ! अतीत काल के प्राणातिपात को प्रतिक्रमता हुआ, वह श्रावक क्या १ त्रिविध विविध प्रतिक्रमता है २ त्रिविध-द्विविध, ३ त्रिविध-एकविध, ४ द्विविध-त्रिविध ५ द्विविध-द्विविध, ६ द्विविध-एकविध ७ एकविव-त्रिविध ८ एकविध-द्विविध अथवा ९ एकविध-एकविध प्रतिक्रमता है ? भगवान्–“हे गौतम ! १ त्रिविध-त्रिविध प्रतिक्रमता है, २ द्विविधद्विविध प्रतिक्रमता है इत्यादि पूर्व कहे अनुसार यावत् एकविध-एकविध प्रतिक्रमता है । १-त्रिविध-त्रिविध प्रतिक्रमते हुए मन, वचन और काया से करता नहीं, कराता नहीं, और करने वाला का अनुमोदन नहीं करता । २-"द्विविध-त्रिविध प्रतिक्रमता हुआ मन और वचन से करता नहीं, कराता नहीं और करने वाले का अनुमोदन नहीं करता । ३-"अथवा मन और काया से करता नहीं, कराता नहीं और करने वाले का अनुमोदन नहीं करता। . ४-"अथवा वचन और काया से करता नहीं कराता नहीं, और करने वाले का अनुमोदन नहीं करता । ५-"त्रिविध-एकविध प्रतिक्रमता हुआ मन से करता नहीं, कराता नहीं और करने वाले का अनुमोदन नहीं करता । ६-"अथवा वचन से करता नहीं, कराता नहीं और करने वाले का अनुमोदन नहीं करता । ७--"अथवा काया से करता नहीं, कराता नहीं और करने वाले का अनुमोदन नहीं कराता । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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