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________________ २०८ तीर्थकर महावीर ८--"द्विविध-त्रिविध प्रतिक्रमते हुए मन-वचन और काया से करता नहीं और कराता नहीं। ९.---"अथवा मन-वचन और काया से करता नहीं और करने वाले को अनुमोदन नहीं करता । १०-"मन-वचन और काया से करता नहीं और करने वाले को अनुमति नहीं देता। ११-"द्विविध-द्विविध प्रतिक्रमता हुआ मन और वचन से करता नहीं और कराता नहीं। १२-"अथवा मन और काया से करता नहीं कराता नहीं । १३-"अथवा वचन और काया से करता नहीं और कराता नहीं। १४--"अथवा मन और वचन से करता नहीं और करने वाले को अनुमति नहीं देता। १५---"अथवा मन और काया से करता नहीं और करने वाले को अनुमति नहीं देता। १६.-"अथवा वचन और काया से करता नहीं और करने वाले को अनुमति नहीं देता। १७--"अथवा मन और वचन से कराता नहीं और करने वाले को अनुमति नहीं देता। १८-"अथवा मन और काया से कराता नहीं और करने वाले को अनुमति नहीं देता। १९-"अथवा वचन और काया से कराता नहीं और करने वाले को अनुमति नहीं देता। २०-"द्विविध-एकविध प्रतिक्रमता मन से करता नहीं और कराता नहीं। २१---"अथवा वचन से करता नहीं और कराता नहीं । २२-"अथवा काय से करता नहीं और कराता नहीं । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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