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सामानिक तथा १६ हजार रानियाँ होती हैं । '
भगवान् वहाँ से विहार करके वाणिज्यग्राम आये और उन्होंने अपना वर्षावास वहीं बिताया ।
तीर्थङ्कर महावीर
आत्मरक्षक होते हैं । हर एक को चार-चार
१ - भगवती सूत्र सटीक, शतक ३ उद्देश १, पत्र २७०-२८३
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