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केशी गौतम संवाद
२०१ विपरीत रूप से चारों ओर भाग रही है, जिसमें आप आरुढ़ हो रहे हो तो फिर आप कैसे पार जा सकेंगे ?”
गौतम स्वामी-"जो नौका छिद्रों वाली होती हैं, वह पार ले जाने वाली नहीं होती; किन्तु जो नौका छिद्रों से रहित है वह पार ले जाने में समर्थ होती है।"
केशीकुमार--''वह नौका कौन-सी है ?"
गौतम स्वामी-"तीर्थकर देव ने इस शरीर को नौका के समान कहा है । जीव नाविक है । यह संसार ही समुद्र है, जिसको महर्षि लोग पार कर जाते हैं।”
केशीकुमार-“हे गौतम ? बहुत से प्राणी घोर अंधकार में स्थित हैं । सो इन प्राणियों को लोक में कौन उद्योत करता है ?"
गौतम स्वामी- "हे भगवान् ? सर्वलोक में प्रकाश करने वाला उदय हुआ निर्मल सूर्य सर्व प्राणियों को प्रकाश करने वाला है।" ___ केशीकुमार-''वह सूर्य कौन सा है !"
गौतम स्वामी----क्षीण हो गया है संसार-जिनका--ऐसे सर्वज्ञ जिनरूप भास्कर का उदय हुआ है। वही सर्व लोकों में प्राणियों का उद्योत करने वाले हैं ।',
केशीकुमार-“हे मुने ! शारीरिक और मानसिक दुःखों से पीड़ित प्राणियों के लिए क्षेम और शिवरूप तथा बाधाओं से रहित आप कौनस्थान मानते हैं ?"
गौतम स्वामी"लोक के अग्रभाग में एक अवस्थान है, जहाँ पर जरा, मृत्यु, व्याधि और वेदनाएँ नहीं हैं । परन्तु उस पर आरोहण करना नितांत कठिन है।"
केशीकुमार - "वह कौन-सा स्थान है ?" गौतम स्वामी- "हे मुने ! जिस स्थान को महर्षि लोग प्राप्त करते
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