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२८-वाँ वर्षावास
केशी-गौतम संवाद मिथिला से ग्रामानुग्राम विहार करते हुए भगवान् हस्तिनापुर की ओर चले।
इसी बीच गौतम-स्वामी अपने शिष्यों के साथ श्रावस्ती आये और उसके निकट स्थित कोष्ठक-उद्यान में ठहरे।
... उसी नगर के बाहर तिदुक-उद्यान में पार्श्व-संतानीय साधु केशीकुमार अपने शिष्य समुदाय के साथ ठहरे हुए थे। वह केशी कुमार कुमारावस्था में ही साधु हो गये थे । ज्ञान तथा चरित्र के पारगामी थे तथा मति, श्रुति और अवधि तीन ज्ञानों से पदार्थों के स्वरूप को जानने बाले थे।
दोनों के शिष्य-समूह मैं यह शंका उत्पन्न हुई कि, हमारा धर्म कैसा और इनका धर्म कैसा ? आचार, धर्म, प्रणिधि हमारी कैसी और इनकी कैसी? महामुनि पार्श्वनाथ ने चतुर्याम धर्म का उपदेश किया है
और वर्द्धमान स्वामी पाँच शिक्षारूप धर्म का उपदेश करते हैं। एक लक्ष्य वालों में यह भेद कैसा ? एक ने चेलक-धर्म का उपदेश दिया और दूसरा अचेलक-भाव का उपदेश करता है। ___ अपने शिष्यों की शंकाएँ जानकर दोनों आचार्यों ने परस्पर मिलने का विचार किया। विनय-धर्म जानकर गौतम मुनि अपने शिष्य-मंडल के साथ तिंदुक-वन में, जहाँ केशीकुमार ठहरे हुए थे, पधारे। गौतम मुनि
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