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तीर्थकर महावीर 'मज्जार' शब्द भी वनस्पति-वाचक ही है। जैन-शास्त्रों से उसका स्पष्टीकरण कितने ही स्थलों से हो जाता है ।
प्रज्ञापनासूत्र में 'हरित' वर्ग में उसका उल्लेख इस प्रकार है:मज्जारयाइ बिल्ली य पालका
-प्रज्ञापनासूत्र सटीक ( समिति वाला) पत्र ३३-१ ( गाथा ३७) भगवती सूत्र में इसका इसी रूप में उल्लेख है-- (१)"वत्थुल चोरग मजारयाई
-भगवतीसूत्र सटीक श० २१, उ० ७, पत्र १४८० (२) भगवतीसूत्र शतक १५ में जो 'मज्जार' आया है, उसकी टीका टीकाकार ने इस प्रकार की हैविरालिकाभिधानो वनस्पति विशेषस्तेन कृतं
-भगवतीसूत्र सटीक, पत्र १२७० यह 'विडालिका' शब्द भी जैन-शास्त्रों में और कोपों में वनस्पति के रूप में आया है । हम यहाँ कुछ प्रसंग दे रहे हैं:--
(१) विरालिय'--विरालिकां पलाशकन्द रूपां' (२) विडालिया-इतिकन्दएव स्थलजः (३) विराली (४) विराली
कोषों आदि में भी विडालिया शब्द वनस्पति-वाचक रूप में आया है । हम यहाँ कुछ प्रयोग दे रहे हैं:
१-दशवैकालिकसूत्र सटीक अ० ५, उ० २, गा० १८ पत्र १८४-२ २-दशवकालिक सूत्र सटीक पत्र १८५-१ ३-आचारांगसूत्र सटीक श्रु० २, अ० १०, उ० ८, पत्र ३१७-२ ४---भगवतीसूत्र सटीक, श० २३ पत्र १४८-२ ५--प्रवचनसारोद्धार सटीक, पूर्वार्द्ध, गा०२३७ पत्र ५७-१
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