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________________ ( १६ ) था। महावीर 'वेसालिय' भी कहे जाते हैं। किन्तु, उसका अर्थ इतना ही है कि वे वैशाली-क्षेत्र में जन्मे थे, जिसमें कुण्डपुर स्थित था। दूसरा तथ्य यह है कि, महावीर का जन्म 'ज्ञातृक' या 'जातिक' कुल में हुआ था और वैशाली के लिच्छिवियों से उनका पारिवारिक संबंध था। महावीर के पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का त्रिशाला था । लेखक ने सप्रमाण सिद्ध किया है कि, महावीर का विवाह भी हुआ था और उनकी पत्नी का नाम यशोदा था। २८ वर्ष की आयु में उन्होंने दीक्षा लेने की इच्छा प्रकट की और लगभग दो वर्ष के समय में गृहस्थ-जीवन का त्याग करके ३० वर्ष की आयु में वे साधु बन गये।। निष्क्रमण से केवलज्ञान-प्राप्ति तक वे कठोर तपस्या में लगे रहे। लगभग १२३ वर्ष तप करने के बाद आयु के ४३-वें वर्ष में उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ। ये १३ वर्ष उन्होंने किस प्रकार बिताए और कहाँ-कहाँ वर्षावास किया, इसका विस्तृत वर्णन लेखक ने अपनी पुस्तक के पहले भाग में दिया था, जो पठनीय है। इस अवधि में जो व्यक्ति उनके सम्पर्क में आये उनका भी वर्णन किया गया है। इनमें इन्द्रभूति आदि महापंडित ब्राह्मणों का चरित्र भी है जो महावीर से प्रभावित हुए और उन्होंने उनसे दीक्षा ली। केवलज्ञान प्राप्त करने के अनन्तर भगवान् महावीर तीर्थङ्कर हुए और वे विविध क्षेत्रों में घूमकर उपदेश करने लगे और उन्होंने अपने संघ का संगठन किया। तेरहवाँ वर्षा-वास राजगृह में व्यतीत हुआ। इस प्रकार ३० वर्ष गृहस्थ रहकर, साढ़े बारह वर्ष तक तपस्वी-जीवन व्यतीत कर, और २९३ वर्ष तक केवली के रूप में उपदेश देकर, सब मिलाकर ७२ वर्ष की आयु में वे निर्वाण को प्राप्त हुए। महावीर-निर्वाण की तिथि ५२७ ई० पू० (४७० वि० पू० ) निश्चित होती है। कुल मिलाकर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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