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तीर्थकर महावीर
नरक-प्राप्ति के कुछ उदाहरण मांसाहार से नरक-प्राप्ति होती है, तत्सम्बन्धी कितने ही उदाहरण जैनशास्त्रों में मिलते हैं । हम उनमें से कुछ यहाँ दे रहे हैं :
(१) विपाकसूत्र ( पी ० एल० वैद्य सम्पादित, १-८, पृष्ट ६०) में उल्लेख है कि मांसभोजी रसोइया काल करके ६-टें नरक में गया ।
(२) सूक्तमुक्तावलि में व्यसन-सम्बन्धी सूनों में एक श्लोक इम प्रकार है :
मांसाच्छोणिक भूपतिश्च नरके चौर्याद्विनष्टानके वेश्यातः कृतपुण्यको गतधनोऽन्यस्मी हतो रावण ॥' -अर्थात् मांस के कारण श्रेणिक राजा नरक गया ।
(३) सतव्यसन-कथा में इसी प्रकार बककुमार का उदाहरण दिया है।'
(४) हेमचन्द्राचार्य ने योगशास्त्र स्वोपज्ञ टीका सहित में मांसाहार के सम्बन्ध में सुभूम और ब्रह्मदत्त का उदाहरण दिया है। वहाँ पाट है
श्रूयते प्राणिघातेन रौद्रध्यान परायणौ ।
सुभूमो ब्रह्मदत्तश्च सप्तमं नरकं गतौ ॥ अपनी टीका में उन्होंने सुभूम की कथा पत्र ७२.२ से ७५-२ तक तथा ब्रह्मदत्त की कथा पत्र ७५-२ से ९०-२ तक बड़े विस्तार से दी है। मांसाहार से किंचित् सम्बन्ध रखने वाला पाप का भोगी हिंसा अथवा मांसाहार तो दूर रहा—उससे सम्बन्धित पुरुप भी
१-सूक्तमुक्तावलि, पत्र ८४-१ २---प्राचार्य सोमकी ति रचित सप्तव्यसनकथा, पत्र १३.२-१७-२ ३-योगशास्त्र स्वोपज्ञ टीका सहित, प्रकाश २, श्लोक ३७ पत्र ७२.२
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