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भगवान् की भविष्यवाणी भगवान् की भविष्यवाणी
इस पर भगवान् ने कहा - " हे गोशालक ! मैं तपोजन्य तेजोलेश्या के पराभव से ६ महीने में काल नहीं करूँगा; पर १६ वर्षों तक तीर्थंकररूप में गंधहस्ती की तरह विचरूँगा । परन्तु, हे गोशालक ! तू सात रात्रि में पित्तज्वर से पीड़ित होकर छद्मावस्था में ही काल कर जायेगा ।"
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गोशाला तेजहीन हो गया
फिर भगवान् ने निर्ग्रथों को बुलाकर कहा - "हे आर्यो ! जैसे तृण राशि आदि जलकर निस्तेज हो जाती है, इसी प्रकार तेजोलेश्या निकाल देने से गोशाला तेजरहित और विनष्ट तेजवाला हो गया है ।
उसके बाद गोशाला के पास जाकर भगवान् के अनागार नाना प्रकार के प्रश्न पूछने लगे । प्रश्नों से वह निरुत्तर होकर क्रोध करने लगा । अपने धर्माचार्य को निरुत्तर देख गोशाला के कितने ही आजीवक साधु भगवान् के भक्त हो गये ।
गोशाला की बीमारी
हताश और पीड़ित गोशाला 'हाय मरा', 'हाय मरा' कहता हुआ हालाहला कुम्भकारिन के घर आया और आम्रफल - सहित मद्यपान करता हुआ, बारम्बार गाता हुआ, बारम्बार नृत्य करता हुआ, हालाहला कुम्भकारिन को अंजलि-कर्म करता हुआ शीतल मृत्तिका के पानी से अपने गात्रों को सींचता हुआ रहने लगा ।
श्रमण भगवान् महावीर ने निर्ग्रथों को बुलाकर कहा - "अहो आर्यो ! मंखलिपुत्र गोशाला ने मेरे बध के लिए जो तेजोलेश्या निकाली थी, वह यदि अपने पूर्णरूप में प्रकट होती तो १ अंग, २ वंग, ३ मगध, ४ मलय, ५ मालव ६ अच्छ, ७ वच्छ, ८ कोच्छ, ९ पाढ़, १० लाढ़, ११ वज्जी, १२ मोली (मल्ल), १३ काशी, १४ कोशल, १५ अबाध, १६ संभुत्तर (सुमहोत्तर)
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