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तीर्थङ्कर महावीर
दशकुमारचरित्र में भी सुम्भ देश का उल्लेख आया है । '
लिखने की यह भूल आवश्यकचूर्णि पूर्वार्द्ध ( पत्र २९६ ), आवश्यक हारिभद्रीय टीका ( भाग १, पत्र २११ - १ ) तथा मलयगिरि की टीका ( भाग १, पत्र २८५ - २ ) में भी है । वहाँ भी सुद्धभूमि लिखा है, जब कि उसे 'सुम्ह भूमि' होना चाहिए था । सुद्धभूमि वाली यह भूल त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित्र ( पर्व १०, सर्ग ४, श्लोक ५४, पत्र ४२ - २ ) तथा गुणचन्द्र - रचित महावीर - चारियं ( प्रस्ताव ६, पत्र २१८ - १ ) में भी है ।
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इस देश के सम्बन्ध में हमने अपनी पुस्तक 'प्राचीन भारतवर्ष नू सिंहावलोकन' में विस्तृत विचार किया है और उसकी स्थिति के संबंध में तीर्थंकर महावीर ( भाग १ ) में प्रकाश डाल चुका हूँ ।
गोशाला को तेजोलेश्या का ज्ञान
उसके बाद भगवान् ने कहा- "अनार्य देश के विहार के बाद प्रथम शरद्-काल में सिद्धार्थ ग्राम से कूर्मग्राम की ओर जाता हुआ तिल के पौदों वाला प्रसंग हुआ और फिर कूर्मग्राम में बालतपस्वी और तेजोलेश्या वाली घटना घटी। वहीं उसने मुझसे तेजोलेश्या की विधि पूछी और मैंने उसे बता दी । "
भगवान् ने अपने साथ की पूरी कथा कहने के बाद बाद गोशाला मुझसे पृथक हो गया और तपस्या करके ६ तेजोलेश्या प्राप्त की ।
"फिर दिशाचरों से उसने निमित्त सीखे और उसके बाद 'जिन' न होता हुआ भी वह अपने को 'जिन' कहता हुआ विचर रहा है ।
१ - दशकुमारचरित्र ( रामचन्द्र काले सम्पादित ) उच्छवास ६, पृष्ठ १४६ २- पृष्ठ १८६ - १६६
३ - तीर्थंकर महावीर, भाग १, पृष्ठ २०२, २११-२१३
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कहा - "उसके मास में उसने
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