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श्रेणिक की रानियों की दीक्षा वीरकृष्णा ने महासर्वतोभद्र-तपस्या की और अपने सभी कर्म खपा कर वह भी मोक्ष गयी।
रामकृष्णा ने भद्रोत्तर-प्रतिमा-नामक तपस्या की । उसकी चार परिपाटी में उसे २ वर्ष २ मास २० दिन लगे । कर्मों का क्षय कर उसने भी सिद्धपद प्राप्त किया।
पितृसेणा ने कितने ही उपवास किये और कर्मों का क्षय करके मोक्षपद प्राप्त किया।
महासेणकृष्णा ने आयंबिल-वद्ध मान-नामक तप किया। इसमें उसे १४ वर्ष ३ मास २० दिन लगे । १७ वर्षों तक चरित्र-पर्याय पालकर अन्त में मासिक संलेखना से आत्मा को भावित करती हुई वह भी मोक्ष गयी।'
१-अन्तकृतदशांग ( एन० वी० वैद्य-सम्पादित ) अ० ८, पृष्ठ ६८-४७ ।
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