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तीर्थङ्कर महावीर
अपना शरीर इतना कृप देखकर उन्होंने संलेखना आदि करने की आर्य चंदना से अनुमति माँगी । आर्य चंदना ने उन्हें अनुमति दे दी ।
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पूरे ८ वर्षों तक श्रामण्य पर्याय पालकर अंत में मासिक संलेखना आत्मा को सेवित करती हुई ६० भक्तों को अनशन से छेदित कर मृत्यु को प्राप्त कर उसने सिद्ध-पद प्राप्त किया ।
काली ने कनकावलि -तप किया । इसकी एक परिपाटी में १ वर्ष ५ माह १८ दिन लगते हैं । सुकाली ने ९ वर्षों तक चारित्र पर्याय पाल कर मोक्ष प्राप्त किया ।
महाकाली ने लघुसिंह- निष्क्रीडित-नामक तप किया । इसके एक क्रम में ३३ दिन पारणे के और ५ महीने ४ दिन की तपस्या होती है । इस प्रकार की ४ परिपाटी उसने २ वर्ष २८ दिनों में पूरी की। इसके अतिरिक्त भी उसने अन्य तपस्याएँ कीं और अन्तिम समय में संथारा करके कर्मों के सम्पूर्ण नाश हो जाने पर मोक्ष गयी ।
कृष्णा ने महासिंह - निष्क्रीडित-तप आर्य चन्दना की अनुमति लेकर किया । इसमें ६१ दिन पारणे के और ४७९ दिन तपस्या के थे। ऐसी ४ परिपाटी उसने ६ वर्ष २ महीने १२ दिन में पूरी की । अन्त में संथारा करके वह मोक्ष गयी ।
सुकृष्णा ने सतसप्तिका भिक्षु प्रतिमा-तप आर्य चन्दना की अनुमति से किया । उसकी समाप्ति पर उसने फिर अष्ट- अष्टमिका भिक्षु प्रतिमा-तप किया । उसे समाप्त कर उसने नव-नवमिका भिक्षु प्रतिभा तप की अनुमति चाही | अनुमति मिलने पर उसने वह तप भी पूरा किया । अन्त में संथारा अनशन करके मोक्ष गयी ।
महाकृष्ण ने लघु सर्वतोभद्र की चार परिपाटियाँ पूरी की। इस तपस्या मैं उसे १ वर्ष १ मास १० दिन लगे । अन्त में उसने भी सिद्ध-पद प्राप्त
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