________________
२६-वाँ वर्षावास खेमक आदि की दीक्षा
चम्पा से भगवान महावीर विदेह-भूमि की ओर गये। रास्ते में काकन्दीनगरी पड़ी । यहाँ भगवान् ने खेमक और धृतिधर को दीक्षित किया ।
खेमक ने १६ वषों तक साधु-धर्म पालक कर विपुल पर अनशन किया और सिद्ध-पद प्राप्त किया।
धृतिधर ने भी १६ वर्षों तक साधु-धर्म पाला और विपुल पर अनशन करके सिद्ध-पद प्राप्त किया। इस वर्ष का वर्षावास भगवान् ने मिथिला में बिताया।
श्रेणिक की रानियों की दीक्षा चातुर्मास समाप्त होने के बाद भगवान् ने अंग-देश की ओर विहार किया । इन दिनों विदेह को राजधानी वैशाली में युद्ध चल रहा था। कारणों सहित इस युद्ध का विस्तृत वर्णन हमने राजाओं के प्रसंग में किया है। इस युद्ध मैं वैशाली की ओर से काशी-कोशल के १८ गणराजे
और कूणिक की ओर से १ काल, २ सुकाल, ३ महाकाल, ४ कण्ह, ५ सुकण्ह, ६ महाकण्ह, ७ वीरकण्ह, ८ रामकण्ह, ९ पिउसेण और १० महसेणकण्ह कूणिक के दस भाई लड़ रहे थे।
१-अंतगडदसाओ (एन० वी० वैद्य-सम्पादित ) सूत्र ५-६ पृष्ठ ३४ २-निरयावलिया ( पी० एल० वैद्य-सम्पादित ) पृष्ठ ४ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org