SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 141
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७७ रोह के प्रश्न भगवान्-“हे रोह ? जिस प्रकार लोकान्त के साथ यह सम्पूर्ण स्थान जुड़ा है, उसे भी इसी प्रकार जान लेना चाहिए।" इस प्रकार रोह के प्रश्नों का उत्तर देकर भगवान् ने उसकी शंकाओं का समाधान कर दिया । लोक-सम्बन्धी शंकाओं का समाधान उसी अवसर गौतम स्वामी ने पूछा- "हे भगवन् ! लोक की स्थिति कितने प्रकार की है ?" भगवान्-हे गौतम ! लोक की स्थिति ८ प्रकार की कही है :१-वायु आकाश के आधार पर है। २-~-पानी वायु के आधार पर है। ३-पृथ्वी जल के आधार पर है । ४-त्रस जीव तथा स्थावर जीव पृथ्वी के आधार पर हैं। ५-अजीव जीव के आधार पर रहते हैं। ६–जीव कर्म के आधार पर रहते हैं। ७-जीव-अजीव संगृहीत हैं । ८-जीव कर्म संगृहीत हैं। गौतम स्वामी हे भगवन् ! किस कारण लोक की स्थिति ८ प्रकार की कही गयी है ? वायु-आकाश आदि के आधार की बातें कैसे हैं ? भगवान्-जैसे किसी मशक को हवा से पूर्ण भर कर उसका मुँह बंद कर दे । फिर बीच से मशक बाँध कर मुँह की गाँठ खोलकर हवा निकाल कर उसमें पानी भर कर फिर मुँह पर गाँठ लगा दे। और, फिर बीच का बंधन खोल दे तो वह पानी नीचे की हवा पर ठहरेगा?" गौतम-"हाँ भगवन् ! पानी हवा के ऊपर ठहरेगा ?" १-भगवतीसूत्र सटीक, शतक१, उद्देशः ६ पत्र १३६-१४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy