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________________ २१-वाँ वर्षावास धन्य की प्रवज्या वर्षावास समाप्त होने पर भगवान् मिथिला' होते हुए काकंदी आये। उस नगरी के राजा का नाम जितशत्रु था। उस नगरी के बाहर सहस्राम्रकनामक उद्यन था। ___ उस नगरी में भद्रा नामक सार्थवाह-पत्नी रहती थी। उसे एक पुत्र था । उसका नाम धन्य था । उसने ७२ कलाओं का अध्ययन किया । युवा होने पर उसका विवाह ३२ इब्भ-कन्याओं से हुआ। उनके लिए ३२ भवन बनवा दिये गये। उनमें धन्य अपनी पत्नियों के साथ सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा। भगवान् के काकन्दी आने पर समवसरण हुआ। भगवान् के आगमन की सूचना समस्त नगर में फैल गयी। राजा जितशत्रु भी समवसरण में १-भगवान् की मिथिला-यात्रा का उल्लेख भगवतीसूत्र सटीक, शतक ६, उद्देशा १, पत्र ७७६ में आया है। यहाँ गौतम स्वामी ने जम्बूद्वीप के सम्बन्ध में भगवान् से प्रश्न पूछा था और भगवान् ने जम्बूद्वीप-सम्बन्धी विवरण बताया था। इस मिथिला के राजा का नाम जितशत्रु था, ( देखिये, सूर्यप्रज्ञप्ति सटीक, पत्र १) २-जितशत्रु राजा का नाम अणुत्तरोववाश्य ( म० चि० मोदी-सम्पादित) पष्ठ ७१ में आता है। ३-धन्य का उल्लेख ठाणांगसूत्र सटीक, ठाणा १०, उ० ३, सूत्र ७५५ पत्र ५०६-१ तथा ५१०-१ में आया है। ऋषिमंडलप्रकरण सटीक पत्र १३७ में भी उसकी कथा आती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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