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मृगावती की दीक्षा
मृगावती की दीक्षा आलभिया से विहार कर भगवान् कौशाम्बी पधारे। कौशाम्बी का राजा उदयन उस समय तक कम उम्र का था। उसकी माता मृगावती देवी अपने बहनोई उज्जयिनीपति चंडप्रद्योत की क्षत्र-छाया में अपना राज्य चला रही थी।
__ भगवान् के समवसरण में वह भी आयी और भगवान् के उपदेश से प्रभावित होकर, चंडप्रद्योत से आज्ञा प्राप्त करके उसने भगवान् से सावी होने की अनुमति मांगी।
मृगावती के साथ ही चंडप्रद्योत की अंगारवती आदि आठ रानियों ने भी सावी-व्रत ग्रहण किया ।' हमने राजाओं के प्रकरण में इनका विशेष वर्णन किया है।
कुछ काल तक भगवान् कौशाम्बी के निकट विहार करते रहे । फिर उन्होंने विदेह देश को ओर विहार किया।
भगवान् ने अपना वह वर्षावास वैशाली में बिताया।
१-आवश्यकचूर्णि, भाग १. पत्र ६१ ।
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