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तीर्थङ्कर महावीर
और १६ वर्षों तक साधु-धर्म पालकर अंत में विपुल पर्वत पर पादयोपगमन करके मोक्ष गया । "
वारत की दीक्षा
राजगृह में वारत- नामक गृहपति रहता था । अन्यों के समान उसने भी साधु-धर्म ग्रहण किया । सामायिक तथा ११ अंगों का अध्ययन किया और विभिन्न तप किये । केवल-ज्ञान प्राप्त किया । १२ वर्षो तक सांधुधर्म पाल कर मोक्ष को गया । *
भगवान् ने अपना वह वर्षावास राजगृह में बिताया ।
१ - वही, सूत्र १२२, पृष्ठ ३४ २ - वही, सूत्र १२३ पृष्ठ ३४
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