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________________ तीर्थङ्कर महावीर गौतम स्वामी जब भिक्षाटन के लिए गये, तो उन्होंने पुद्गल-सम्बन्धी चर्चा सुनी । भिक्षाटन से लौटकर गौतम स्वामी ने पुद्गल के प्रचार की चर्चा भगवान् से की। भगवान् ने पुद्गल का प्रतिवाद करते हुए कहा--'देवों की आयुष्यस्थिति कम-से-कम १० हजार वर्ष और अधिक-से-अधिक ३३ हजार सागरोपम की है। उसके उपरान्त देव और देवलोक का अभाव है। भगवान् महावीर की बात पुद्गल के कानों तक पहुँची तो उसे अपने ज्ञान पर शंका उत्पन्न हो गयी। वह भगवान् के पास शंखवन-उद्यान में गया। उसने उनकी वन्दना की तथा भगवान् का प्रवचन सुनकर संघ में सम्मिलित हो गया। अन्त में शिवराजर्षि के समान तपस्या करके पुद्गल ने मुक्ति प्रात की। चुल्लशतक श्रावक हुआ इसी विहार में चुल्लशतक और उसकी स्त्री बहुला ने श्रावक धर्म स्वीकार किया। उनका सविस्तार वर्णन हमने श्रावकों के प्रसंग में किया है। वहाँ से विहार कर भगवान् राजगृह आये । भगवान् राजगृह में राजगृह की अपनी इसी यात्रा में भगवान् महावीर ने मंकाती, किंक्रम, अर्जुन, काश्यप को दीक्षित किया। इनका वर्णन अंतगडदसा में.. आता है । अंतगड शब्द की टीका कल्पसूत्र की सुबोधिका-टीका में इस प्रकार दी है : १-भगवतीसूत्र सटीक शतक ११, उद्देशा १२, सूत्र ४३६ पत्र १०११-१०१३ १-उवासगदसाओ ( पी० एल० वैद्य-सम्पादित ) पंचम अध्ययन, पष्ठ ४१-४२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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