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तीर्थङ्कर महावीर
धन्य की दीक्षा
उसी नगर में शालिभद्र की छोटी बहन का विवाह धन्य' - नामक व्यक्ति से हुआ था । उसकी बहन को अपने भाई के वैराग्य और एक-एक पत्नी तथा एक-एक शैय्या के त्याग का समाचार मिला तो वह बहुत दुःखित हुई । उसकी आँखों में आँसू आ गये । उस समय वह अपने पति को स्नान करा रहीं थीं । अपनी पत्नी की आँखों में आँसू देख कर धन्य ने कारण पूछा तो वह बोली - "मेरा भाई शालिभद्र व्रत लेने के विचार से प्रतिदिन एक-एक पत्नी और एक-एक शैया का त्याग कर रहा है ।" सुनकर धन्य ने मजाक में कहा- - "तुम्हारा भाई हीनसत्व लगता है ।" इस पर उसकी पत्नी ने उत्तर दिया – “यदि व्रत लेना सहज है तो आप व्रत क्यों नहीं ले लेते ।”
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धन्य बोला -- "मेरे व्रत लेने में तुम विघ्न-रूप हो । आज वह पूर्ण योग अनुकूल हुआ है । अब मैं भी सत्वर व्रत लूँगा ।" यह सुनकर उसकी पत्नी को बड़ा दुःख हुआ । वह कहने लगी- " नाथ ! मैंने तो मजाक में कहा था । "
पर, धन्य अपने वचन पर दृढ़ रहा । बोला - "स्त्री, धन आदि सत्र अनित्य हैं और त्याज्य हैं। मैं तो अवश्य दीक्षा लूँगा ।"
१ - धन्य - चरित्र (गद्य) में धन्य के पिता का नाम धनसार और माता का नाम शीलवती दिया है ( पत्र १५-२, १६-२ )
२- जगदीशलाल शास्त्री - सम्पादित 'कथा- कोश' ( पृष्ठ ६० ) में धन्य की पत्नी का नाम सुभद्रा लिखा है । पूर्णभद्रगणि-रचित 'धन्यशालिभद्र महाकाव्य' में धन्य की पत्नी का नाम सुन्दरी लिखा है ( पत्र २२ - २ )
३ - श्रीधन्य चरित्र ( गद्य ) पत्र २७३ -२ में धन्य की पत्नी की आँखों से धन्य के कन्धे पर आँसू गिरने का उल्लेख है
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"उष्णा अश्रु विन्दवो धन्यस्य स्कन्ध द्वये पतुः '
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