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________________ ६. पांचाल १०. जंगल (जांगल ) ( ' ) ११. सौराष्ट्र १२. विदेह १३ वत्स १४. शांडिल्य १५. मलय १६. मत्स्य १७. अत्स्य ( अच्छ ) १८. दर्शारण १६. चेदि २०. सिन्धु- सौवीर २१. शूरसेन २२. भंगी (४४) काम्पिल्य अहिच्छत्रा द्वारावती मिथिला कौशाम्बी नन्दिपुर भद्दिलपुर वैराट Jain Education International वरुणा मृत्तिकावती शुक्तिमती वीतभय मथुरा पावा १ - 'जांगल' से तात्पर्य है - जंगल में बसा हुआ प्रदेश ( वर्स्ट लैण्ड ) वह जिस देश में होता है, उस देश के नाम से पुकारा जाता है, जैसे 'कुरुजांगल', 'माद्रेय जांगल' । उत्तर पांचाल देश और गंगा के बीच में 'कुरुजांगल, देश बसा हुआ था । और, उसमें काम्यक - वन था । 'कुरु' के ३ भाग थे— कुरु, कुरुक्षेत्र और कुरु - जांगल । महाभारत के अनुसार अहिच्छत्रा उत्तर पांचाल की राजधानी थी । कुछ विद्वान् अहिच्छत्रपुर अथवा अहिच्छत्रा को वर्तमान 'नागौर' (नागपुर) मानते हैं । 'नागौर' को 'नागपुर' का वाचक मान कर समानार्थक रूप देकर 'अहिच्छत्रा' की खोज का उनका प्रयास सर्वथा भ्रामक है । पुरातत्त्वविभाग ने अब अहिच्छत्रा की अवस्थिति सम्बन्धी सभी भ्रमों का निवारण कर दिया है । उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के रामनगर गाँव के आसपास इसके अवशेष बिखरे पड़े हैं । यह स्थान आँवला नामक - रेलवे स्टेशन से १० मील की दूरी पर हैं ( अहिच्छत्रा, कृष्णदत्त वाजपेयी - लिखित, पृष्ठ १ ) हमने कुरु - जांगल का जो स्थान बताया है, वह रामायण के अयोध्याकाण्ड के ६८-वें सर्ग के १३ - वें श्लोक, तथा महाभारत के आदिपर्व के १०६वें सर्ग के पहले तथा २४ - वें श्लोक और वन पर्व के १० - वें सर्ग के ९१ - वें श्लोक ; ५- वें सर्ग के ३-रे श्लोक और २३ - वें सर्ग के ५ वें श्लोक से भी स्पष्ट है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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