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वस्तुतः यह वाचनाभेद है
दिगम्बर-ग्रन्थों में भी १४ कुलकर गिनाये गये हैं । इन्हें दिगम्बर १४ 'मनु' भी कहते हैं।
जैन-शास्त्रों के अनुरूप ही वैदिक-शास्त्रों में भी ७ मनुओं के होने की चर्चा मिलती है । उनके नाम हैं :
१- स्वायम्भू २- स्वारोचिष ३- उत्तम ४- तामस ५- रैवत ६- चाक्षुष और ७- वैवस्वतः
कुछ वैदिक ग्रन्थों में १४ मनु गिनाये गये हैं :
१- स्वायम्भुव २-स्वारोचिष, ३-औत्तमि, ४-तापस, ५-रैवत, ६-चाक्षुष ७-वैवस्वत, ६-सावर्णि, ९, दक्षसावर्णि १०-ब्रह्मसावर्णि, ११-धर्मसावर्णि, १२-रुद्रसावर्णि, १३-रोच्य देवसावर्णि, १४इन्द्र सावर्णि'
दण्डनीति' ___कुलकरों की दण्डनीति-व्यवस्था के सम्बन्ध में उल्लेख मिलता है कि विमलवाहन तथा चक्षुष्मान की 'हकार'५ नीति थी; यशस्वी और अभिचन्द्र की 'मकार' नीति थी तथा प्रसेनजित, मरुदेव और नाभि की (१) महापुराए जिनसेनाचार्यरचित, खण्ड १, पृष्ठ ५१-५६ (२) मनुस्मृति, अध्याय १, श्लोक ६२, ६३ (३) मोन्योर-मोन्योर-विलियम-संस्कृत-इंग्लिश डिक्शनरी, पृष्ठ ७८४ (४) 'दण्ड:अपराधिनामनुशासनं, तत्र तस्य वा स एव वा नीतिः नयो दण्डनीतिः' अपराधियों को शिक्षा करने की नीति को दण्डनीति कहते हैं।
-स्थानाङ्गसूत्र पत्र ३६६-१ (५) 'ह इत्याधिक्षेपार्थस्तस्य करणं हकारः' 'ह' का अर्थ है निन्दा । अत:
निन्दा करना 'हकार' नीति हुई। -स्थानाङ्गसूत्र वृत्ति-पत्र ३६६-१ (६) मा इत्यस्य निषेधार्थस्य करणं अभिधानं माकारः' मकार का अर्थ है मना करना। निषेध करने को ही मकारनीति कहते है।
-स्थाङ्गसूत्रवृत्ति-पत्र ३६६-१
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