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१ पाद
(२०) ८ हरिबर्ष और रम्यक् के
१ हैमवत ऐरवत के मनुष्य मनुष्य का बालान
का बालान ८ हैमवत ऐरवत मनुष्य का बालाग्र = १ पूर्व विदेह के मनुष्य का
बालान ८ पूर्वविदेह के मनुष्य का बालान
१ बालाग्र ८ बालान
१ लिक्षा ८ लिक्षा
१ यूका ८ यूका
१ यवमध्य ८ यवमध्य
१ अंगुल ६ अंगुल १२ अंगुल
१ वितस्ति (बालिश्त) २४ अंगूल
१ हाथ ४८ अंगुल
१ कुक्षि ६६ अंगुल
१ दण्ड, धनु, यूप, नालिका
अक्ष अथवा मूसल २००० धनुष्य का
१ कोस ४ कोस का
१ योजन दस कोटाकोटी पल्योपम
१ सागरोपम (') १ उत्सपिणी ।
१ अवसर्पिणी बीस कोटाकोटी ,
१ कालचक्र (१) सागरोपम वर्ष की व्याख्या करते हुए जैन-शास्त्रों में कहा गया है कि
एक योजन लम्बा-चौड़ा और गहरा प्याले के आकार का एक गड्डा (पल्य) खोदा जाये जिसकी परिधि ३ योजन हो, और उसे उत्तर कुरु के मनुष्य के १ दिन से ७ दिनों तक के बालान से इस प्रकार भरा जाये कि उसमें अग्नि, जल तथा वायु तक प्रवेश न कर सके। उस गड्ढे में से १००-१०० वर्ष से एक बालाग्र निकाला जाये और इस प्रकार एक-एक बालाग्र निकालने पर जितने काल में वह पल्य खाली हो जाये उसे एक पल्योपम वर्ष कहते हैं । ऐसे दस कोटाकोटी पल्योपम वर्ष का एक सागरोपम होता है। -भगवतीसूत्र सटीक शतक ६, उद्देश ७, सूत्र २४८ भाग १, पत्र २७५-२७६ -लोकप्रकाश, सर्ग १, श्लोक ७३, पृष्ठ १२.
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सागरोपम
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