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________________ (३४४) सूत्र कृतांग में आद्रकुमार से विभिन्न धर्मावलम्बियों के मिलने का उल्लेल आता है। उसमें गोशाला के धर्मावलम्बी, बौद्ध भिक्षु वाची शाक्यपुत्रीयो, वैदिक, सांख्य मतवाले वेदान्ती, और हस्तितापस के उल्लेख है'। निशीथसूत्र सभाष्यचूणि में निम्नलिखित अन्यतीर्थक श्रमण-श्रमणियों के उल्लेख है। १ आजीवकर, २ कप्पडिय', ३ कव्वडिय', ४ कावालिय", ५ कावाल', ६ कापालिका", ७ गेरुअ', ८ गोव्वय', ६ चरक'', १० चरिका'', ११ तच्चनिय २, १२ तच्चणगी' ३, १३ तडिय' ४, १४ तावस'५, १५ तिडंगी परिव्वायग'६, १६ दिसापोक्खिय' ५, १७ परिव्वाय ८, १८ परिव्राजिका ९, १६ पंचगव्वासणीय २०, २० पंचग्गितावय, २१ पंडरंग२२, २१ पंडर भिक्खु२३, २२ रत्तपड२४, २३ रत्तपडा२५, २४ वणवासी२६, २५ भगवी२७, २६ वृद्धसावक२८, २७ सक्क-शाक्य२९, २८ सरकव°, २९ समण ३१, ३०, ३०. हड्ड सरकव३२ १-सूत्रकृतांग सटीक चूणि, भाग २, अध्ययन ६, पत्र १३५-१५८-१ ३-निशीथसूत्र सभाष्य चूणि, भाग २, पृष्ठ ११८-२०० ४- वही २, २०७,४५६ ५- वही ३; १६८ ६- वही २, ३८ ७- वही ४; १२५ ८- वही ४; ६० 8- वही २; ३३२ वही ३; १९५ ११- वही २; ११८,२०० १२- वही ४; १० १३- वही ३; २५३, ३२५ १४- वही ४; ६० १५-- वही २, २०७, ४५६ १६- वही २, ३, ३३२ १७- वही १; १२ १८- यही ३; १६५ १९- वही २; ११८,२०० २०-- नही ४: ६० २१- वही ३; १६५, २२-- वही ३; १६५ २३-- वही २; ११६ ।।।।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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