SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 405
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (३४२) ३३ पुष्फाहारा-केवल पुष्प खाने वाले ३४ बीयाहारा-केवल बीज खाने वाले ३५ परिसडियकंदमूलतयपत्तपुप्फफलाहारा-कंद, मूल, छाल, पत्ता, पुष्प, फल खाने वाले ३६ जलाभिसेयकढिणगायमूया-बिला स्नान भोजन न करने वाले ३७ आयावणाहिं-थोड़ा आतप सहन करने वाले ३८ पंचम्गितावेहि-पंचग्नि तापने वाले ३६ इंगालसोल्लियं-अंगार पर सेंक कर खाने वाले ४० कंडुसोल्लिययं-तवे पर सेंक कर खाने वाले ४१ कट्ठसोल्लियं-लकड़ी पर पका भोजन खाने वाले इस के अतिरिक्त औपपातिक सूत्र में ही निम्नलिखित अन्य तापसों के भा उल्लेख मिलते हैं :-- १ अत्तुक्कोरिया-आत्मा में ही उत्कर्ष मानने वाले २ भूइकम्मिया-ज्वरित आदि उपद्रव से रक्षार्थ भूतिदान करने वाले ३ भुज्जो-भुज्जो कोउयकारका-सौभाग्यादि के निमित्त स्नानादि ___ कराने वाले कौतुककारक उसी सूत्र में फुटकल रूप में कुछ तापसों के उल्लेख है :१ धम्मचिंतक-~-धर्मशास्त्र पाठक २ गोव्वइया - गोव्रत धारण करने वाले ३ गोअमा-छोटे बैल को कदम रखना सिखला कर भिक्षा माँगने वाले ४ गीयरई-५-गीत-रति से लोगों को मोहने वाले १-औपपातिक सूत्र सूत्र ४१, पत्र १६६ २-वही ३८, पत्र १६८३-औपपातिक सूत्र, सूत्र ३८, पत्र १६८ ४-वही , सूत्र ३८ पत्र १६८ ५-वही , सूत्र ३८, पत्र १७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy