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(२२५) लोगों ने उसको चोर समझ कर पकड़ा और जब पीटने लगे तो वह बोला"मुझे क्यों पीटते हो। मैं तो अपने गुरु की आज्ञा का पालन कर रहा हूँ।" जब लोगों ने पूछा कि तेरा गुरु कौन है, तो उसने उद्यान में ध्यानमग्न महावीर स्वामी को बता दिया। ___लोग वहाँ गये तो लोगों ने वहाँ भगवान् को ध्यान में खड़े देखा । अतः, भगवान् को ही चोर समझ कर उन पर धावा कर दिया और बाँध कर गाँव में ले जाने वाले थे कि, इतने में महाभूतिल नामका एक ऐन्द्रजालिक वहाँ आ पहुँचा । उसने भगवान् का परिचय गाँव वालों को करा कर उनको मुक्त कराया । अब लोग उस साधु की खोज करने लगे; लेकिन उसका कहीं भी पता नहीं चला। तब गाँव वालों को मालूम हुआ कि इसमें कुछ-न-कुछ रहस्य है। ___ तोसली से भगवान् मोसलि' पहुंचे और उद्यान में कायोत्सग में खड़े हो गये । इस समय भी संगमक ने आप पर चोर होने का आरोप लगाया। सिपाही भगवान् को पकड़ कर राजा के पास ले गये। राजसभा में राजा सिद्धार्थ के मित्र सुमागध नामका राष्ट्रिय बैठा हुआ था। भगवान् महावीर को देखकर वह खड़ा हो गया। और, भगवान् का परिचय करा कर उसने उनको बन्धन से मुक्त कराया। आप वहाँ से पुनः तोसलि जाकर उद्यान में ध्यानरूढ़ हो गये।
यहाँ संगमक देव ने चोरी के औजार लाकर भगवान के पास रख दिये । इन औजारों को देखकर लोगों ने आपको चोर की शंका से पकड़ लिया और तोसलि-क्षत्रिय के पास ले गये। क्षत्रियने आपसे बहुत-से प्रश्न पूछे और १-कलिंग देश का एक विभाग था। भरत के नाट्य-शास्त्र में इसका
उल्लेख है। २-आवश्यक चूर्णि, प्रथम भाग. पत्र ३१३. ३-(अ) राष्ट्रीय-राष्ट्रचिंता नियुक्ता-प्रश्नव्याकरण अभयदेव-सूरिकृत
टीका, पत्र ९६. (आ) राष्ट्रियो नृपतेः श्यालः ॥२४७॥ कांड २, अभिधान चिन्तामणि
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