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________________ (१३९) बालक का नाम वर्द्धमान रखेगें ।" राजा के इस प्रकार कहने पर सब ने 'वर्द्धमान' कहकर अपनी जिह्वा को पवित्र किया । वर्द्धमान का बाल्यकाल राजकुमार की भाँति सुख-समृद्धि और वैभव आनन्द में व्यतीत हुआ । उनके लिए ५ धाएं रखी गयी थीं, जो उनका लालन-पालन करती थीं । क्रीड़ा कुमार वर्द्धमान को खेल-कूद में कुछ विशेष रुचि नहीं थी । एक बार जब उनकी उम्र ८ वर्ष से कुछ कम थी, तो अपने समवयस्क बच्चों के कहने से वे प्रमदवन' में क्रीड़ा करने के लिए गये और सुंकली ( आमल की ) क्रीडा खेलने लगे । यह खेल किसी वृक्ष को लक्ष्य करके खेला जाता था । सब लड़के उसकी ओर दौड़ते थे । उनमें जो लड़का सब से पहले उस पर चढ़ जाता था और नीचे उतर जाता था, वह पराजित लड़कों के कंधे पर बैठकर उस स्थान को जाता था जहाँ से दौड़ प्रारम्भ होती थी । जिस समय कुमार वर्द्धमान इस खेल को खेल रहे थे, उस समय देवेन्द्र शक्र अवधिज्ञान से भगवान को देखकर बोले— “वर्द्धमान कुमार बालक होते हुए भी बड़े पराक्रमशील है । वृद्ध न होते हुए भी बड़े विनयशील है । इन्द्र, देव, दानव कोई भी उनको पराजित नहीं कर सकता ।" एक देव को इन्द्र की इस उक्ति पर विश्वास नहीं हुआ। वह परीक्षा करने के लिए जहाँ वर्द्धमान खेल रहे थे, वहाँ आया । वह देव सर्प का रूप धारण करके उस पीपल के वृक्ष पर लिपट गया । कुमार वर्द्धमान उस समय वृक्ष पर चढ़े हुए थे । सब लड़के उस सर्प के विकराल रूप को देखते ही डर गये । लेकिन, वर्द्धमान कुमार जरा भी विचलित नहीं हुए। वे नीचे उतरे और दाएँ हाथ से उस सर्प को पकड़कर एक ओर डाल दिया । लड़के फिर एकत्र हो गये और तिंदूसकर नामक क्रीड़ा करने लगे । इसमें यह नियम था कि अमुक वृक्ष को लक्ष्य करके लड़के दौड़ें। जो लड़का १ - मयवसित्ति गृहोद्याने' -ज्ञाताधर्मकथा, अभयदेवसूरिकृत टीका, ११८/७३ पत्र १४ । १ । १ २ - तस्स तेसु रुक्खेसु जो पढमं विलग्गति जो पढमं ओलुभति सो चेडरूवारिण वाहेति — आवश्यकचूरिंग, भाग १, पत्र २४६ । ३ - आवश्यकचूरिण, भाग १, पत्र २४६ । ४. - आवश्यक मलयगिरि टीका, प्रथम भाग, पत्र २५८ - १ | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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