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________________ (१३८) और तौलकर दी जानेवाली वस्तुओं के माप में वृद्धि करा दो । क्षत्रियकुंड नगर की सफाई कराओ, सुगन्धित जल का छिड़काव कराओ। देवालयों, राजमार्गों आदि को सजाओ । बाजारों आदि में मंच बँधवा दो - जहाँ से बैठकर लोग महोत्सव देख सकें। दीवारों पर सफेदी करवाओ और उन पर थापे लगवाओ । ( नट ) नाटक करने वालों, (नट्टग ) नाचने वालों, (जल्ल) रस्सी पर खेल करनेवालों, मल्लों (मल्ल), (मुट्ठि) मुष्टि-युद्ध करनेवाले ( विडम्बक ) विदूषकों, (पवग) बन्दर के समान उछल-कूद करनेवाले गढ्ढे फांदने वाले तथा नदी में तैरनेवाले, ( कहग ) कथा कहने वालों, ( पाठग ) सूक्तियों को कहने वाले, ( लासग ) रास करने वाले, (लेख) बांस पर चढ़ कर खेल करने वाले, (ख) हाथ में चित्र लेकर भिक्षा मांगने वाले, (तूणइल्ल) तूण नामक वाद्य बजानेवाले ( तुम्ब वीणिका) वीणा बजाने वाले और ( तालाचराः ) तालियां बजानेवाले, मृदंग बजानेवालों से इस क्षत्रियकुण्ड ग्राम को शोभायुक्त करो। ग्राम भर के जुवों और मूसलों को एक जगह एकत्र कर दो ताकि महोत्सव के अंदर कोई हल अथवा गाड़ी न चला सके ।" राजा का आदेश सुनकर जब कर्मचारी चले गये, तो राजा सिद्धार्थ व्यायामशाला में गये । वहाँ स्नान आदि करके वस्त्राभूषण से सुसज्ज होकर राज सभा में आये । और, बाजे-गाजे के साथ स्थितिपतित' नामक दस दिनों का महोत्सव किया । इस उत्सव काल में तीसरे दिन चंद्र और सूर्य का दर्शन कराया गया । छठें दिन रात्रिजागरण का उत्सव हुआ । बारहवें दिन नाम संस्कार कराया गया । इस बीच राजा सिद्धार्थ ने अपने नौकर-चाकर, इष्ट मित्र, स्नेहियों और ज्ञातिजनों को आमंत्रित किया और भोजन, पान, अलंकार आदि से सबका सत्कार किया । राजा सिद्धार्थ ने कहा -- " जब से यह बालक हमारे कुल में अवतरित हुआ है, तब से हमारे कुल में धन, धान्य कोश, कोष्टागार, बल, स्वजन और राज्य में वृद्धि हुई है । अतः हम इस १- कुलक्रमादागते पुत्रजन्मानुष्ठाने नि० १ श्रु० १ वर्ग १ अ० कुलस्य लोकस्य वा मर्यादायां गतायां पुत्रजन्ममहप्रक्रियायाम् भगवती सूत्र ११ - ११, नाया १,१४, राय २८६, विपाक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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