________________
(९८) (घ) उवाच त्रिशलादेवी सदने नस्त्वमागमः ॥ १४१॥
___-त्रिषाष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग २
(क) तस्स घरे तं साहर तिसलादेवीए कुच्छिसि ।।५१॥ (ख) सिद्धत्थो य नरिन्दो तिसिलादेवी य रायलोओ य ॥६॥
नेमिचन्द्र सूरि-रचित महावीरचरियं, पत्र २८, तथा ३३१ (८) डाक्टर हारनेल ने 'सन्निवेश' का अर्थ 'मुहल्ला' लिखा है और डाक्टर याकोबी ने उसका अर्थ 'पड़ाव' किया है। यहाँ दोनों ने ही इस शब्द का अर्थ भ्रामक रूप में दिया है। क्योंकि 'सन्निवेश' शब्द के जहाँ बहुतसे अर्थ हैं, वहीं एक अर्थ 'ग्राम' भी है ।
(क) 'पाइअसद्दमहण्णव' के पृष्ठ १०५४ पर 'सन्निबेश' के निम्नलिखित अर्थ दिये गये हैं:
(१) नगर के बाहर का प्रदेश (२) गाँव, नगर आदि स्थान (३) यात्री का डेरा (४) ग्राम, नगर आदि (५) रचना, आदि
(ख) भगवती-सूत्र सटीक, प्रथम खण्ड (पृष्ठ ८५) में 'सन्निवेश' शब्द का अर्थ निम्नलिखित-रूप में किया गया है:
सन्निवेशो घोषादिः एषां द्वन्द्वस्ततस्तेषु, अथवा ग्रामादयो ये सन्निवेशास्ते तथा तेषु।'
(ग) “निशीथरिण' में सन्निवेश का अर्थ दिया गया है
"सत्थावासणत्थाणं सण्णिवेसो गामो वा पीडितो संनिविट्ठो जतागतो वा लोगो सन्निविट्ठो सो सण्णिवेसं भण्णति ।"
-अभिधानराजेन्द्र, भाग सप्तम (पृष्ठ ३०७) (घ) बृहत्कल्पसूत्र (सटीक) विभाग २, पत्र ३४२-३४५ पर सन्निवेश का अर्थ दिया गया है:
है
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org