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________________ -१.३८] कालात्ययापदिष्ट ३९ कार्यरूपे घटादौ सावयवत्वं विद्यते, कार्यरूपे प्रध्वंसाभावे नित्यत्वे विद्यमानेऽपि सावयवत्वं नास्ति । [३८. कालात्ययापदिष्टः ] ___ कालात्ययापदिष्टस्तु कथ्यते । पक्षे साध्यस्य बाधा प्रत्यक्षानुमानागमलोकस्ववचनैः। तत्र प्रत्यक्षबाधा - अग्निः अनुष्णा द्रव्यत्वात् जलवत् । अनुमानबाधा- अनित्यः परमाणुः मूर्तत्वात् घटवत् इत्युपजीवकानुमान नित्यः परमाणुः अविभागित्वात् आत्मवत् इत्युपजीव्यानुमानेन बाध्यते। यत्रानुमानयोः उपजीव्योपजीवकभावे सति विरोधः तत्रोपजीव्यानुमानेन होने से विपक्ष का अस्तित्वही नही हो सकता। सपक्ष प्रध्वंसाभाव है किन्तु उस में अवयवसहित होना यह हेतु नहीं है । पक्ष में शामिल कार्यों में घट. पट आदि में अवयवसहित होना यह हेतु है कि तु प्रध्वंसाभाब इस कार्य में नित्य होने पर भी अवयवसहित होना यह हेतु नही पाया जाता। कालात्ययापदिष्ट हेत्वाभास अब कालात्ययापदिष्ट हेत्वाभास का वर्णन करते हैं । (जिस का साध्य बाधित हो उस हेतु को कालात्ययापदिष्ट हेत्वाभाम कहते हैं यह ऊपर बता चुके हैं)। पक्ष में साध्य के बाधित होन के पांच प्रकार हैं- प्रत्यक्ष से, अनुमान से, आगम से, लोकरीति से तथा अपने ही कथन से । प्रत्यक्ष से बाधित साध्य का उदाहरण है- अग्नि उष्ण नहीं है क्यों कि वह द्रव्य है जैसे जल ( यहां अग्नि का उष्ण न होना यह साध्य प्रत्यक्ष से बाधित है)। अनुमान से बाधित साध्य का उदाहरण परमाणु अनित्य है क्यों कि वह मूर्त है जैसे घट | यहां परमाणु के अनित्य होने का अनुमान उपजीवक है! परमाणु नित्य है क्यों कि वह अविभागी है जैसे आत्मा - इस उपजीव्य अनुमान से उपर्युक्त उपजीवक अनमान बाधित होता है। जहां दो अनुमानों में एक उग्जीवक तथा दूसरा उपजीव्य हो तथा उन में विरोध हो वहां उपजीव्य अनुमान के द्वारा उपजीवक अनुमान बाधित होता है। जहां ( अनुमानों में उपजीव्य-उपजीवक संबंध न होते हुए ) केवल विरोध हो वहां उसे प्रकरणसमा जाति समझना चाहिए। विरोधी अनुमान से आक्षेप उपस्थित करना यह प्रकरणसमा जाति है ( किन्तु यह जाति अर्थात झूठा दूषण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001853
Book TitlePramapramey
Original Sutra AuthorBhavsen Traivaidya
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherGulabchand Hirachand Doshi
Publication Year1966
Total Pages184
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Epistemology, & Philosophy
File Size10 MB
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